संधि : स्वर,व्यंजन और विसर्ग संधि
i.] स्वर संधि ii.] व्यंजन संधि iii.] विसर्ग संधि
यदि 'अ', 'आ', 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ' और 'ऋ' स्वर का मेल खुद के ही ह्वस्व या दीर्घ स्वर से हो,तो दोनों मिलकर क्रमशः 'आ', 'ई', 'ऊ' और 'ऋ' हो जाते हैं।
उदाहरण ;
अ + अ = आ ; अन्न + अभाव = अन्नाभाव
अ + आ = आ ; शिव + आलय = शिवालय
आ + अ = आ ; विघा + अर्थी = विद्यार्थी
आ + आ = आ ; विघा + आलय = विघालय
इ + इ = ई ; गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
इ + ई = ई ; गिरि + ईश = गिरीश
ई + इ = ई ; मही + ईन्द्र = महीन्द्र
ई + ई = ई ; पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश
उ + उ = ऊ ; भानु + उदय = भानूदय
ऊ + उ = ऊ ; स्वयंभू + उदय = स्वयंभूदय
ऋ + ऋ = ऋ ; पितृ + ऋण = पितृण
2. गुण स्वरसंधि :-
यदि 'अ', या 'आ' का मेल 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ', या 'ऋ' से हो,तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए', 'ओ' और 'अर्' हो जाते हैं।
उदाहरण ;
अ + इ = ए ; देव + इन्द्र = देवेन्द्र
अ + ई = ए ; देव + ईश = देवेश
आ + इ = ए ; महा + इन्द्र = महेन्द्र
अ + उ = ओ ; चन्द्र + उदय = चंद्रोदय
अ + ऊ = ओ ; समुद्र + उर्मि = समुद्रोर्मि
आ + उ = ओ ; महा + उत्सव = महोत्सव
आ + ऊ = ओ ; गंगा + उर्मि = गंगोर्मि
अ + ऋ = अर् ; देव + ऋषि = देवर्षि
आ + ऋ = अर् ; महा + ऋषि = महर्षि
3. वृद्धि स्वरसंधि :-
यदि 'अ' या 'आ' का मेल 'ए' या 'ऐ' से हो या फिर 'ओ' या 'औ' से हो, तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ऐ' और 'औ' हो जाते है।
उदाहरण ;
अ + ए = ऐ ; एक + एक = एकैक
अ + ऐ = ऐ ; नव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य
आ + ए = ऐ ; सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ ; महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
अ + ओ = औ ; परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
अ + औ = और ; परम + औषध = परमौषध
आ + ओ = औ ; महा + ओजस्वी = महौजस्वी
आ + औ = औ ; महा + औषध = महौषध
4. यन स्वरसंधि :-
उदाहरण ;
इ + अ = य ; यदि + अपि = यद्यपि
इ + आ = या ; अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
इ + उ = यु ; अति + उत्तम = अत्युत्तम
इ + ऊ = यू ; अति + उष्म = अत्यूष्म
ई + ऐ = यै ; देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य
उ + अ = व् ; सु + आगत = स्वागत
उ + अ= व ; अनु + आय = अन्वय
उ + ए = वे ; अनु + एषण = अन्वेषण
ऋ + अ = र ; पितृ + अंश = पित्रंश
ऋ + आ = रा ; पितृ + आदेश = पित्रादेश
उदाहरण ;
ओ + इ = आव ; पो + इत्र = पवित्र
औ + इ = आव ; नौ + इक = नाविक
ए + अ = अय ; ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय् ; गै + इका = गायिका
ऐ + अ = य ; गै + अक = गायक
औ + उ = वु ; भौ + उक = भावुक
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